सारा जग यूँ ही कहता है
एक और एक ग्यारह होता है |
मैंने भी एक बार रखा था
एक और एक को
सोचा था सम्मुख देखूँगा
सपने को सच को |
कैसे जुड़ के बूँदें दो
बन जातीं सरिता
कैसे जुड़ के दो छुद्र
पाते सौन्दर्य मणि का |
मैंने भी एक बार रखा था
एक और एक को
सोचा था अनुभव कर लूँगा
पल अदभुत को |
प्रेमपाश, मन का विश्वास
कुछ भी काम न आया
ज्यों-के-त्यों दोनों बने रहे
कोई परिणाम न आया |
परख नहीं पाया अब तक मैं
कहावतों का कहा हुआ
बहुत जुड़ा तो दो तक पंहुचा
ग्यारह नही हुआ |
दिखने को दो 'एक' थे और
कहने को ग्यारह होता है |
सारा जग यूँ ही कहता है
एक और एक ग्यारह होता है |
एक और एक ग्यारह होता है |
मैंने भी एक बार रखा था
एक और एक को
सोचा था सम्मुख देखूँगा
सपने को सच को |
कैसे जुड़ के बूँदें दो
बन जातीं सरिता
कैसे जुड़ के दो छुद्र
पाते सौन्दर्य मणि का |
मैंने भी एक बार रखा था
एक और एक को
सोचा था अनुभव कर लूँगा
पल अदभुत को |
प्रेमपाश, मन का विश्वास
कुछ भी काम न आया
ज्यों-के-त्यों दोनों बने रहे
कोई परिणाम न आया |
परख नहीं पाया अब तक मैं
कहावतों का कहा हुआ
बहुत जुड़ा तो दो तक पंहुचा
ग्यारह नही हुआ |
दिखने को दो 'एक' थे और
कहने को ग्यारह होता है |
सारा जग यूँ ही कहता है
एक और एक ग्यारह होता है |
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