Wednesday 14 May 2014

सात दिन हुए

सात दिन हुए, और देखो तो
तुम्हे पता भी नहीं चला !
मैं नाराज़ हूँ,
मुझे दुःख पंहुचा है
और तुम्हे पता भी नहीं चला !

सात दिन हुए, मैं चुप हूँ
सिर्फ तुम्हारी बातों का जवाब देता हूँ
सात दिन हुए, मैं चुप हूँ
सिर्फ तुम्हारी बातों पर मुस्का देता हूँ
सात दिन हुए, मैं ज़िद नहीं करता
सात दिन हुए, मैं बिल्कुल नहीं लड़ता
सात दिन हुए, और देखो तो
तुम्हे पता भी नहीं चला!

सात दिन हुए और मैं
तुम्हारे जानने की राह तकता रहा
सात दिन हुए मैं सोचता रहा
तुम पूछो, ज़िद ही करो
सात दिन हुए मैं सुनता रहा
तुम कुछ तो कहो!
सात दिन हुए, और देखो तो
तुम्हे पता भी नहीं चला!

*************

अब मैं तुम्हे पता चलने भी नहीं दूंगा
इतने दिनों में अगर
जान नहीं पाये हो
तो तुम्हे अधिकार भी नहीं है, जानने का
और अगर जान के भी अनजान हो
तो मुझे अधिकार नहीं है, जताने का
सात दिन हुए, और देखो तो कैसे
तुम्हे पता ही नहीं चला!

भले ही तुम्हे देख कर, मैं बहल जाता हूँ
लाख नाराज़ होऊं, पिघल जाता हूँ
खुद से वादा करके भी बदल जाता हूँ
अपने ही फैसलो से टल जाता हूँ
इस दफा नहीं टालूंगा
इस बार इसे पालूंगा
इस बार सात पल ही सही
ये सात दिन तुम्हे जीने होंगे ।

2 comments:

  1. Replies
    1. सराहना ही बहुत है मनोबल बढ़ने के लिए, धन्यवाद मित्र

      Delete